लोकसभा की कार्यवाही के दौरान केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी सांसदों के सवालों के जबाव दे रही थीं। शरद यादव की बारी आई तो वह बोलने के लिए खड़े हुए। वह समाचार चैनलों के साथ ही कुछ मनोरंजन वाले चैनलों पर दिखाए जा रहे अनेक कार्यक्रमों से खफा थे। कहने लगे – जब टीवी खोलो, किसी चैनल पर जादू-टोने का कार्यक्रम चल रहा होगा तो किसी चैनल पर सामाजिक विसंगतियों को बढ़ावा देने वाला कार्यक्रम।
मैडम स्पीकर ने हस्तक्षेप करते हुए कहा – आखिर आपका सवाल क्या है? सवाल कीजिए। शरद यादव ने कहा – बालिका बधू जैसे कार्यक्रमों पर पाबंदी लगेगी या नहीं? अंबिका सोनी ने कहा कि चैनलों पर चल रहे कार्यक्रमों की मानिटरिंग के लिए जो व्यवस्था है, उसके तहत इस पूरे मामले को दिखवाएंगी और आवश्यक कार्रवाई भी करेंगी।
इस मामले को खबरिया चैनलों ने हाथों-हाथ लिया। अनेक चैनलों पर खबर चलने लगी कि बालिका वधू को लेकर लोकसभा में हंगामा। शरद यादव ने बालिका वधू को बाल विवाह को बढ़ावा देने वाला बताते हुए इसके प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की। मंत्री ने जांच का भरोसा दिया।
लेकिन किसी भी चैनल ने शरद यादव की बातों को समग्रता में नहीं लिया। जादू-टोने वाले कार्यक्रमों को दिखाए जाने के मामले को पूरी तरह नजरंदाज कर दिया। शरद यादव की पीड़ा केवल बालिका वधू को लेकर नहीं थी। वह तो अंधविश्वास और सामाजिक विसंगतियां फैलाने वाले तमाम कार्यक्रमों पर रोक की बात कर रहे थे।
एक पत्रकार ने ठीक ही कहा – बालिका वधू के मामले को उछाल कर बाकी बहुत से मुद्दों पर से ध्यान बांट दिया गया। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो शायद किसी कार्यक्रम विशेष का नहीं, बल्कि अनेक चैनलों का अहित होता। ऐसा भला कौन चाहेगा?
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